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अमर चित्र कथा हिन्दी >> सम्राट अशोक

सम्राट अशोक

अनन्त पई

प्रकाशक : इंडिया बुक हाउस प्रकाशित वर्ष : 2007
पृष्ठ :32
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 4800
आईएसबीएन :81-7508-497-9

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इतिहास के पृष्ठ शूरवीर विजेताओं से भरे हुए हैं उन्हीं में से एक हैं सम्राट अशोक के जीवन की गाथा का सचित्र वर्णन......

Samrath Ashok A Hindi Book by Anant Pai

प्रस्तुत हैं पुस्तक के कुछ अंश

सम्राट अशोक

इतिहास के पृष्ठ शूरवीर विजेताओं तथा सैनिकों से भरे हुए हैं जिसने युध्दों में विजय प्राप्त करते हुए हिंसा की व्यर्थता को समझा और उसे तिलांजलि दे दी। इसीलिए एच.जी वेल्स ने अपने ‘‘विश्व के संक्षिप्त इतिहास’’ में लिखा है और कि अशोक का ‘‘अट्ठाईस वर्ष का शासन काल मानव जाति के दुख भरे इतिहास के उज्जवलतम अध्यायों में गिना जाता है।

वेल्स ने आगे कहा है कि ‘‘ऐसा था अशोक, शासकों में महानतम। अपने युग से बहुत आगे था वह।’’ यह रचना लेखक ने महावंस, दीपवंस, महावंस की टीका एवं अशोक के अभिलेखों पर शोध करके प्रस्तुत की है। पाली पाण्डुलिपियों तथा अन्य स्त्रोतों का अध्ययन कर के भी कुछ तथ्य प्राप्त किये गये हैं। इससे अशोक के प्रति और रुचि जागृत होगी।

 

सम्राट अशोक

 

ईसा पूर्व तीसरी शताब्दी में राजा बिन्दुसार भारत पर शासन करता था। पाटलिपुत्र उसकी राजधानी थी। अशोक उसका पुत्र था। वह-रण-नीति में अपने भाइय़ों से बहुत बढा-चढ़ा था। अतः राज्य के दूरवर्ती प्रान्त, तक्षशिला, में विद्रोह भ़डकने पर उसे दबाने के लिए अशोक को भेजा गया।

कुछ सप्ताह बाद-महाराज, शुभ समाचार आया है अशोक ने पूरी तरह विद्रोहियों को कुचल दिया है।
उसे हम वहां का प्रसाशक नियुक्त करते हैं। वह वहाँ शान्ति बनाये रखेगा।
बिन्दुसार के अशोक के अलावा सौ पुत्र और थे। वे इस घोषणा से प्रसन्न नहीं थे।
अशोक बड़ा घमण्डी है। इस सफलता से उसका दिमाग और ज्यादा खराब हो जायेगा।
वह और ज्यादा उद्दण्ड हो जायेगा !

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